8TH SEMESTER ! भाग- 58 ( Meditation -1| Boys Hostel)
Meditation: Part-२
Boys hostel
निशा...आज के मॉडर्न जमाने की एक मॉडर्न लड़की, जिसे वो सभी शौक थे,जो एक रहीस खानदान मे रहने वाली लड़कियो मे एक जानलेवा बीमारी की तरह फैल रही है.....लेकिन इन सबमे मे वो पूरी तरह दोषी नही थी, उसे इस तरह का बनाने मे उसके माँ-बाप ने भी उसका बहुत साथ दिया था. यदि जो मैने सुना है वो सच है तो उसके अनुसार निशा के माँ-बाप खुद बहुत बड़े अय्याश थे...वो दोनो खुद रात रात भर घर से गायब रहते और उनकी इसी अय्याशी की बदौलत निशा और मैं अक्सर एक साथ उसी के घर मे वक़्त गुज़ारते थे... अब ये भी तो अय्याशी ही थी. मै उसके साथ उसका बिस्तर गरम करू तो शरीफी, दूसरे करें तो अय्याशी...??
ऐसा भेद -भाव मै नहीं करने वाला. भेद -भाव करना तो अपने dna मे ही नहीं है. निशा के माँ -बाप को इस बात की पक्का जानकारी भी होगी कि उनकी एकलौती बेटी का चक्कर कई लड़को से चल रहा है, लेकिन उन्होने कभी इस बारे मे जानने की कोशिश नही की....वरना उन्ही के घर से कुछ कदमो की दूरी पर रहने वाला अरमान ,आज उनके आलीशान घर मे उनकी एकलौती बेटी के बिस्तर पर अपना हाथ बँधवा कर नही पड़ा होता.......
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निशा ने करवट बदली ,लेकिन मेरे हाथ मे उसके हाथ बँधे होने के कारण वो उसका हाथ खिंच सा गया और वो जाग गयी...
"क्या हुआ...तुम जा रहे हो..."डरे -सहमे उसने मुझसे सवाल किया
"फिलहाल तो कपड़े गीले है...."मुस्कुरा कर मैने जवाब दिया
"तो फिर...."मेरी तरफ देखते हुए वो बोली "आज रात यही रुक जाओ..."
"क्यों ? यहाँ ऐसा क्या है..जो मैं यहाँ रुकु..."
"मैं हूँ..."
"तो..."
"तो..."मेरे सीने मे नाखून गड़ाते हुए वो बोली" तो क्या"
"मेरा क्या फ़ायदा होगा यहाँ रुक कर..."
"कभी कभी फ़ायदा और नुकसान को किनारे रख कर सोचना पड़ता है..."
"रियली..."बोलते हुए मैने उसे पकड़ा 180 डिग्री के आंगल पर रोटेट कर दिया, अब मैं उसके उपर था और वो मेरे नीचे...
"इसके सिवा और भी कुछ आता है..."
"शायद नही...."मैने उसके हाथो को अपने हाथो से पकड़ लिया, क्यूंकि मै जानता था की उसके हाथ मुझे रोकने की कोशिश करेंगे और एक जोरदार किस उसके होंठो पर किया...
"Please... Leave... Arman.."अपना चेहरा दूसरी तरफ करके वो रूखे मन से बोली
"सोच लो, ये रस्सी टूट जाएगी..."मै भी कम खिलाडी थोड़ी हूँ... सीधे हाथ मे बँधी रस्सी तोड़कर जाने की बात कह दी.
"फिर रहने दो..."
"अब आई ना लाइन पर..."
जिस्म मे सुलग रही आग को मिटाने के बाद मै निशा के ऊपर ही रहा और उसके गालो पर अपनी उंगलिया फिराने लगा... अब नींद मुझे भी आ रही थी और मेरी आँखो के सामने वो दृश्य आ गया जो मैं कभी नही देखना चाहता था...निशा की इस हालत से मुझे वो दिन आ गया था,जब मैं खुद कुछ कुछ निशा की तरह बिहेव करने लगा था...... दिमाग़ जितना जटिल है, उससे जटिल उसके कार्य करने की शक्ति... मेरा मतलब मुझे क्या सोचना चाहिए और मै क्या सोच रहा था अभी....
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तब मैं 12th मे था, जब मैने एक रात को सपने मे देखा कि मेरे एक दोस्त की मौत हो गयी है...सुबह उठकर मैने उसे एक बुरा सपना समझा और हॉस्टल से निकलकर खाने के लिए मेस की तरफ बढ़ा...जिस वक़्त मैं खाना लेकर टेबल पर पहुचा तो वहाँ बहुत सारे लोग थे...लेकिन मेरे खाना खाते तक वहाँ से हर कोई गायब हो चुका था...ना तो वहाँ काम करने वाले लोग थे और ना ही वहाँ खाना खाने वाले लोग....लेकिन तब भी मैं वहाँ बैठा खाना ख़ाता रहा ,खाना खाते हुए एक बड़ी ही अजीब सी चीज़ हुई...मेरी थाली अचानक से पूरी पानी से भर गयी थी, मैने गुस्से मे मेस वाले को गाली दी और वहाँ थाली पटक कर वापस जाने के लिए मुड़ा ही था कि मेरा दोस्त जो सपने मे मर गया था,वो मुझे दिखा...मेरा वो दोस्त वहाँ ज़मीन मे बिखरे हुए चावल के दानो को बटोर का इकट्ठा कर रहा था....
"और साले क्या हाल है...." कहते हुए मैं वहाँ से आगे बढ़ा,लेकिन मेरे कदम जैसे जम गये थे...मेरा सर बहुत ज़ोर से दर्द किया और मैं वही अपने दोस्त के बगल मे सर पकड़ कर बैठ गया....
"सब खाना गीला गीला है, दाल चावल सब गीला था...इसलिए मैं ज़मीन से सूखा-सूखा उठाकर खा रहा हूँ....ले तू भी खा..."उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा, उसके बाल इस वक़्त लड़कियो की तरह एकदम लंबे हो चुके थे , और आँखे एकदम लाल...वो आगे बोला
"मैं तो मर चुका हूँ, तूने सपने मे भी देखा था...याद है मैने फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी...."
मेरी हालत उस वक़्त ऐसे थी जैसे कि मुझे किसी दहकते हुए ज्वालामुखी मे फेक दिया गया हो....मैं वहाँ से भागने के लिए मुड़ा ही था कि ,मैं फिसलकर वही उसके पास गिर गया.....
और मेरी आँख खुल गयी, मैंने सपने मे भागने की कोशिश मे ज़ोर से एक लात दीवार पर दे मारी थी, जिसका दर्द अब भी था...कुछ देर तक मैं सोचने लगा कि आख़िर हुआ क्या है और जब मैं नॉर्मल हुआ तो मुझे पता चला कि मैं सपने के अंदर सपना देख रहा था...लेकिन उसी वक़्त हॉस्टल मे कोई ज़ोर से चीखा...नीचे जाकर देखा तो मेरा वही दोस्त हॉस्टल की बाथरूम मे उपर लगे हुक से लटका हुआ था....... मेरा पूरा दिमाग़ खिसक गया 2 इंच अपनी जगह से. मतलब.. क्या है ये.. कैसे मुमकिन है ये और कही ये भी तो सपना नहीं...????? WTF, Man..............
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उस दिन मेरी दिल की धड़कने हर बीत रहे पल के साथ तेजी से बढ़ती रही ,मैं उस दिन खाना खाने मेस भी नही गया क्यूंकी मुझे डर था कि वो सब कुछ मेरे साथ ना हो,जो मैने सपने मे देखा था.... किसी को बता भी नहीं सकता था, क्यूंकि यदि बताता तो मेरे दोस्त मुझे डरपोक, कायर समझते.. जबकि मेरी इमेज स्कूल मे एक साहसी और किसी से ना डरने वाले लड़के के रूप मे थी. यदि मै किसी को अपने मन के दर के बारे मे बताता तो वो अवश्य ही मेरा मज़ाक उड़ाते.... की एक बुरे सपने दर गया... लेकिन वो बुरा सपना अब एक बुरी हक़ीक़त मे तब्दील हो चुका था.
जब मेरे दिल की धड़कने नॉर्मल होने लगी तो उन्हे फिर से उन्हें बढ़ाते हुए मेरे एक दोस्त ने,जो अभी अभी मेस से खाना खाकर आया था, वो मुझसे बोला
"आज का खाना एकदम गीला था, एकदम गीला...सब कुछ पानी पानी टाइप था और आज एक लड़का,जिसके लंबे लंबे बाल थे...वो ज़मीन से दाने उठाकर खा रहा था, साले ये मेस वाले भिखारियो को अंदर क्यूँ आने देते है........."
मूह खुला का खुला रह गया, दिल की धड़कने इतनी रफ़्तार से धड़कने लगी की मानो, दिल ही फट जायेगा... उस एक पल मुझे ऐसा लगा कि मैं ज़िंदा ही नही हूँ और यदि हूँ भी तो, पक्का आज रात मेरी मृत्यु हो जाएगी... अब मै नहीं बच सकता. क्या अपने दोस्तों को अपने इस दर के बारे मे बताऊ...? शायद दर कम हो जाए... या किसी बाबा, फ़क़ीर की शरण मे जाऊं...? पर मैने ऐसा कुछ नहीं किया... करता भी कैसी... इज्जत का भी तो सवाल था. इसलिए सीधे -सीधे अपने सिरहाने भागवत गीता रखी और सो गया... सो क्या गया... बस सोने की कोशिश की थी उस रात मैने. हर 5 मिनट मे...
I Repeat... हर 5 मिनट मे.... मेरी आँख अपने आप खुल जाती और अपने आप दरवाजे की ओर देखती की वहा कोई खड़ा तो नहीं है...??? लाइट्स ऑन हो तो मै सो नहीं पता और दर इतना था की लाइट्स ऑफ किया ही नहीं... इसलिए नींद आती भी तो कुछ देर बाद अपने आप खुल जाती... बीच बीच मे मुझे लगता की मेरा वही दोस्त, माथे पर लम्बा लाल टिकाये लगाए, रक्त तप्त आँखों से मुझे घूरता हुआ, हाथ मे फरसा लेकर दरवाजे पर खड़ा है... और बस इंतजार कर रहा है की जैसे ही मै आँख खोलूंगा, वैसे ही वो मेरी गर्दन काट देगा.....................
पर एक सवाल मेरे मन मे आज भी है की..... क्या यदि मैं मेस जाता तो वो सब कुछ मेरे साथ होता ,जो मैने सपने मे खुद के साथ होते हुए देखा था...? क्यूंकि मेस की घटना मेरे दोस्त के अनुसार ठीक वैसी ही थी जैसी की मेरे सपने मे थी... क्या मेरा वो दोस्त जो फांसी लगाकर मर गया था, वो मेरा वहा इंतजार कर रहा था....................??????????
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कुछ सवाल ऐसे होते है,जिनके जवाब कभी नही मिलते...मेरे उस दोस्त ने अपनी जान क्यूँ दी...ये कभी किसी को पता नही चल पाया...उसके माँ-बाप को मैने अपने आँखो के सामने रोते हुए देखा....... मै भी रोता, यदि डार्क के आतंक ने मुझे जकड कर ना रखा होता तो.
"क्या हुआ..."निशा ने मुझसे पूछा
"कक्क....कुछ नही..."
"ए.सी. ऑन है,लेकिन फिर भी तुम पसीने से भरे हो..."
"कुछ नही,एक बुरा ख्वाब याद आ गया था नींद मे...."
उस वक़्त सब कुछ उल्टा हो गया था,जहाँ कुछ देर पहले तक निशा को मेरी ज़रूरत था ,अब वही मुझे उसकी ज़रूरत थी....
Kaushalya Rani
26-Nov-2021 06:45 PM
Nice
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Barsha🖤👑
26-Nov-2021 05:57 PM
बहुत खूबसूरत भाग
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Seema Priyadarshini sahay
02-Oct-2021 11:22 PM
बहुत खूबसूरत
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